आधुनिक हिंदी साहित्य का ही विश्लेषण करें तो देखेंगे कि भारतेन्दु हरिश्चंद्र से लेकर आज तक का हिंदी साहित्य अपनी मूल धारा में समाजोन्मुख, संघर्षशील चेतना से सम्पन्न और मानव मंगल की धारणा से अनुप्राणित है लेबल वाली कोई पोस्ट नहीं. सभी पोस्ट दिखाएं
आधुनिक हिंदी साहित्य का ही विश्लेषण करें तो देखेंगे कि भारतेन्दु हरिश्चंद्र से लेकर आज तक का हिंदी साहित्य अपनी मूल धारा में समाजोन्मुख, संघर्षशील चेतना से सम्पन्न और मानव मंगल की धारणा से अनुप्राणित है लेबल वाली कोई पोस्ट नहीं. सभी पोस्ट दिखाएं
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